उज्जैन के महाकाल लोक में सप्तऋषियों की मूर्तियां 11 महीने में तीसरी बार बदले जाने की तैयारियां शुरू हो चुकी है। इस बार मूर्तियां 2.50 करोड़ की लगाई जाएंगी। ओडिसा के कलाकारों द्वारा मूर्तियां तराशने का काम शुरू हो गया है। नई मूर्तियां बनाकर पुरानी मूर्तियों को बदला जाएगा। इसके लिए प्रशासन एस्टीमेट तैयार कर रहा है।
दरअसल, पिछले साल 29 मई को महाकाल लोक में 7 में से 6 सप्तऋषियों की मूर्तियां धराशायी हो गई थी। 66 लाख से बनी ये मूर्तियाँ अंदर से खोखली थी। मूर्तियों के गिरने के बाद तत्काल सीएम शिवराज के आदेश पर इन्हे फिर से बनाने का कार्य शुरू किया गया। अगस्त 2023 में नई मूर्तिया लगाई गई। एमपी के सीएम बदलते ही डॉ. मोहन यादव ने महाकाल लोक में पत्थर की मूर्तियाँ लगाने का आदेश दिया।
महाकाल लोक परिसर में 11 करोड़ की लागत से 106 मूर्तियाँ है, ये सभी मूर्तियाँ फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक (FRP) से बनी है। एक मूर्ति बनाने में करीब ।। लाख रुपए खर्च हुए। मूर्तियों की उम्र करीब 10 साल है।
महाराज विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी के मुताबिक शिव और सप्तऋषि की मूर्तियों का निर्माण 6 महीने में होगा। ओडिशा के कोणार्क से 10 कलाकार इन मूर्तियों को तैयार करेंगे। ये पत्थर की शुरुआती कटिंग का काम करेंगे। इसके बाद मूर्तियों को तराशने बाकी कलाकार भी आएंगे। उज्जैन के हरि फाटक के पास स्थित हाट बाजार में इन प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। त्रिवेणी संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्रा कहते हैं कि ऋषि अत्रि, कश्यप, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ, भारद्वाज और विश्वामित्र की मूर्ति को तैयार करने के लिए 8 से 10 कलाकारों की टीम काम करेगी। हर मूर्ति 15 फीट ऊंची, 10 फीट चौड़ी और 4.5 फीट के सर्किल में होगी।
भगवान श्री राम की मूर्तियों का स्केच बनाने वाले बनारस के कलाकार सुनील विश्वकर्मा ने ही सप्तऋषियों की मूर्ति का स्केच बनाया है। सुनील का कहना है कि हर मूर्ति का स्केच प्रतिमा विज्ञान के आधार पर तैयार किया है। इसके लिए विभिन्न पौराणिक ग्रंथों का अध्ययन किया। इससे पता चला कि सप्तऋषियों में कौन से ऋषि किस विद्या के जानकार थे। उनका स्वभाव कैसा था, ग्रंथ में दी गई डिटेल के आधार पर उनके शारीरिक सौष्ठव की कल्पना की गई है।