



सिरोंज। शुक्रवार को तहसील वक्फ कमेटी के एवं मुस्लिम समाज जनों द्वारा तहसील कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर के नाम नायब तहसीलदार ललित सक्सेना को ज्ञापन सौंपकर अवगत कराया गया है कि लटेरी रोड पर स्थित कब्रिस्तान नदी कैथन के पास है जिसका वक्फ खसरा नंबर 1061 तथा रब्बा 0. 304 हेक्टर। उक्त भूमि वक्फ बोर्ड की है तथा वक्त गजट में दर्ज है। उक्त भूमि पर नगर पालिका द्वारा बिना वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों की गैर मौजूदगी में तार फेंसिंग कर ली गई है उक्त वक्फ बोर्ड के कब्रिस्तान की भूमि पर नगर पालिका द्वारा कराई गई तार फेंसिंग की जांच कराई जाकर वक्फ कमेटी के पदाधिकारी को सौंपी जाए। गौरतलब हो कि दो तीन महा पूर्व मुस्लिम समाज की एक लड़की की मृत्यु होने पर जब समाज के लोग उसे दफनाने गए तो नगर पालिका द्वारा दफनाने से रोका गया था तथा पुलिस भी बुलाई गई थी, समाज के कुछ बुद्धिजीवी लोगों द्वारा इस मामले में विवाद होने से बचा लिया था जबकि उस कब्रिस्तान में कई कच्ची एवं पक्की कबरें मौजूद हैं। तथा यह कब्रिस्तान वर्तमान में चालू है लेकिन कुछ माह पूर्व नगर पालिका द्वारा बिना सूचना के उक्त कब्रिस्तान में तार फेंसिंग कर दी गई है जिससे मुस्लिम समाज में रोष व्याप्त है। तथा किसी की मृत्यु होने पर दफनाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस अवसर पर ऑल इंडिया जमिआतुल कुरैश के जिला अध्यक्ष इरफान कुरैशी उर्फ बाबू ठेकेदार, वक्फ कमेटी के सदस्य वाहिद गौरी, जामियातुल कुरैश के तहसील अध्यक्ष जहीर कुरैशी, आल मंसूरी समाज सोसायटी के जिला अध्यक्ष नवाब मंसूरी, जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर वसीम मोहम्मद,पूर्व जिला वक्फ कमेटी के अध्यक्ष जफर खान, एडवोकेट मुश्ताक गोरी, वसीम अख्तर, सलमान अमीन, डाक्टर आजम खान, डॉक्टर अनस कुरैशी, वाजिद खान मैकेनिक, हारुन खान, फारुक खान, असगर खान, अमीन खान, सोहेल कुरेशी आदि लोग मौजूद रहे।
सम्रग पोर्टल पर अपग्रेडेशन होने से लोकसेवा केन्द्र में नही हुऐ फार्म जमा लोग हुऐ परेशान
सिरोंज। एमपी डिस्टिक्ट पोर्टल पर शुक्रवार से 14 फरवरी तक माइग्रेशन होने से सम्रग पोर्टल पर कार्य होने के चलते लोकसेवा केन्द्र पर कामकाज ठप्प पडा़ रहा। लोकसेवा केन्द्र प्रबंधन से मिली जानकारी अनुसार 14 फरवरी तक किसी भी सेवाओं के फार्म जमा नहीं होगें जिसमें आय, जाति, मूल निवासी, जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र सहित विभिन्न तरह के फार्म लोकसेवा केन्द्र के माध्यम से प्रतिदिन सैकडो़ की संख्या में फार्म जमा होते थे। पोर्टल बंद होने से दिनभर लंग परेशान हुऐ और मायूस होकर लौटना पडा़।

